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कुम्भ पर्व

कुम्भ पर्व विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन


 


अमरीत पाल कौर


कुम्भ पर्व विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन है। कुम्भ मेला 2019 का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जो जनवरी 15 से मार्च 04 तक चलेगा। प्रयागराज में कुम्भश् कानों में पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सरस्वती का पावन सुरम्य त्रिवेणी संगम मानसिक पटल पर चमक उठता है। पवित्र संगम स्थल पर विशाल जन अनेक देवस्थानों के दिव्य दर्शन प्रयागराज कुम्भ सैलाब हिलोरे लेने लगता है और हृदय भक्ति-भाव की महिमा भक्तों को निदर्शन कराते हैं। से विहवल हो उठता है। श्री अखाड़ों के शाही हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि किसी भी स्नान से लेकर सन्त पंडालों में धार्मिक मंत्रोच्चार, कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी ऋषियों द्वारा सत्य, ज्ञान एवं तत्वमिमांसा के लगाने से सभी पुराने पाप धुल जाते हैं और उद्गार, मुग्धकारी संगीत, नादो का समवेत अनहद मनुष्य को जन्म–पुनर्जन्म तथा मृत्यु मोक्ष की नाद, संगम में डुबकी से आप्लावित हृदय एवं प्राप्त होती है।


                                        


कुंभ को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की कहानियां है। लेकिन इसका महत्व 2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीखधार्मिक और ज्योतिषीय दोनों है14-15 जनवरी 2018: मकर संक्रांति (पहला खगोल गणना के अनुसार कुंभ का शाही स्नान), 21 जनवरी 2019: पौष पूर्णिमा, 31 आयोजन मकर संक्रांति के दिन शुरू जनवरी 2019: पौष एकादशी स्नान, 04 फरवरी होता है, जब सूर्य और चंद्रमा, वृश्चिक 2019: मौनी अमावस्या मुख्य शाही स्नान, दूसरा राशि में और वृहस्पति मेष राशि में प्रवेश शाही स्नान), 10 फरवरी 2019: बसंत पंचमी करते हैं। कुंभ को लेकर कई प्रकार की (तीसरा शाही स्नान), 16 फरवरी 2019: माघी मान्यताएं है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी, 1 9 फरवरी 2019: माघी पूर्णिमा, 04 इस दिन स्वर्ग के दरवाजे खुलते हैं। मार्च 2019: महा शिवरात्री कुंभ मेले के मौके पर कुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने प्रयागराज में तैयारियां जोरो पर चल रही हैं। वाली आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ती गंगा-यमुना की संगम नगरी को सजाया जा रहा आसानी से हो जाती है। 14 जनवरी है और आयोजन से पहले यहां का रंग रूप मकर संक्रांति के दिन से शुरू होकर 4 बिल्कुल बदल चुका है। जगहों को तरह-तरह की मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगाकुंभ स्नान का पेंटिगों से सजाया गया है और संगम नगरी अदभुत संयोग करीब तीस सालों बाद बन रहा है। आकर्षण का केंद्र बन गई है।


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