निशांत राठौर नई दिल्ली (ख.सं.)।
पिछले साढे चार वर्षों के दौरान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों के हित में विभिन्न कदम उठाए हैं। किसान कल्याण” इस सरकार की कृषि नीति का प्राथमिक लक्ष्य है। इसके क्रियान्वयन के लिए कृषि क्षेत्र में रोजगार को बढ़ाना तथा किसानों की आय में वृद्धि करना महत्वपूर्ण कारक हैं। इस प्राप्त करने के लिए सरकार उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने, उच्च कीमत वाले फसलों को प्राथमिकता प्रदान करने, जोखिम कम करने और कृषि को सतत प्रक्रिया बनाने जैसे कार्य कर रही है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में 74 प्रतिशत की वृद्धि की गई है तथा एसडीआरएफ आवंटन को दोगुणा कर दिया गया है।
किसी विशेष कोषों की स्थापना की गई है जैसे 5000 करोड़ रुपये का लघु सिचाई कोष, 10,081 करोड़ रुपये का डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास कोष, 7550 करोड़ रुपये का मत्स्य और मत्स्य पालन अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), पशु पालन अवसंरचना विकास के लिए 2450 करोड़ रुपये का कोष तथा ग्रामीण कृषि बाजार अवसंरचना विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये क कोष। उक्त वित्तीय प्रावधानों की सहायता कई नीतिगत सुधार किए गये। पहली किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये, किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य प्राप्ति के लिए नाम की शुरूआत की गई और किसानों की फसलों के अधिकतम जोखिम कवर करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत की । फसल बीमा योजना के लिए न्यूनतम प्रीमियम की सीमा हटा दी गई। जैविक कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई। सतत कृषि के लिए हर मेढ़ पर पेड़, लघु सिंचाई पर विशेष जोर देते हुए प्रति बूंद अधिक उत्पादन तथा राष्ट्रीय बांस मिशन जैसे कार्यक्रमों की भी शुरूआत की गई। पिछले चार वर्षों के दौरान कृषि साख में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैऔर यह 11 लाख करोड़ तक पहुच गया है। व्याज सब्सिडी भी डेढ़ गुणा बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये हो गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए एसएफएसी ने 546 एफपीओ का गठन किया हैभूमिहीन किसानों के लिए संयुक्त देनदारी समूह 6.7 लाख से बढ़कर 27.49 लाख हो गया है।
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