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रामराज्य सबसे ज्यादा प्रासांगिक

                  रामराज्य  सबसे ज्यादा प्रासांगिक                                                                                                              


नई दिल्ली(ख.स. )  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के जनपथ मैदान में चल रहे अयोध्या पर्व के दूसरे दिन की शुरूआत रामचरित मानस के पाठ के साथ हुई। इस मौके पर राम के विभिन्न आयाम और रामराज्य पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया। गांधी के रामराज्य पर आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री बनवारी ने की व संवाद में आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय, वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कौल, सांसद लल्लू सिंह ने अपने विचार रखे। इस मौके पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि आज गांधी के रामराज्य  सबसे ज्यादा प्रासांगिक और आवश्यक है। गांधी जी जिस रामराज्य की परिकल्पना की थी वो अब तक साकार नही हुई है। उनकी परिकल्पना को उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी जवाहरलाल नेहरू ने न ही उसे साकार होने दिया  और न ही आम जनमानस की भावनाओं की कद्र की। उलटे अंग्रेजी कानून को ही लागू  कर दिया। इससे कलेक्टरी व्यवस्था आज इतनी हावी हो गई है कि लोग परेशान है। लोगों के काम नहीं हो पाते, सांसदों की निधि का वय नहीं हो पाता। न्यायलय में 5-6 करोड़ मामले लंबित हैं। मौजूदा शासन को देखते हुए रामराज्य की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है। इस मौके पर अध्यक्ष बनवारी ने कहा कि रामराज्य बहुत विस्तृत है। नीति के रूप में और पराक्रम के रूप में अयोध्या समृति के रूप में हमेशा हमारे जहन में रही है। गांधी जी ने हमेशा सुखी भारत का सपना देखा। सुखी देश की कल्पना सभी कर रहे हैं।  इस दिशा में सभी देश काम कर रहे हैं फिर चाहे रूस हो या फिर चीन सब अपने सीमित साधनों में तरक्की कर रहे हैं तो हमारा देश क्यों नही। इसलिए रामराज्य का सपना अब सभी को देखना चाहिए और इस दिशा में काम करना चाहिए।  देश में अपना कानून बनना चाहिए और वो भी ग्रामीण लोगों के सुझाव के साथ तभी रामराज्य का सपना साकार हो सकता है।


अयोध्या पर्व के मौके पर अंतर महाविद्यालय वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया। वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय था भारतीय अपनी ऐतिहासिक धरोहर के प्रति गंभीर नहीं। इसके अलावा अयोध्या के कलाकारों ने भी अपनी रंगारंग प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। अयोध्या का प्रसिद्ध फरूआही नृत्य की शानदार प्रस्तुति को देख लोग झूम उठे। कालूराम बामनियां के कबीर भजन, अनु सिंहा का कथक नृत्य और नैंसी श्रीवास्तव की मनमोहक राम भजनों से प्रांगण राममय हो गया।


तीसरा व अंतिम दिन ----


शास्त्रीय गायन—महाकवि निराला रचित राम की शक्ति पूजा पर विशेष प्रस्तुति सुबह 11 बजे, समापन समारोह में मुख्य अतिथि केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय मंत्री धमेन्द्र प्रधान, मनोज सिंहा तीन बजे। शाम 4 बजे से  अवधि कवि सम्मेलन के साथ राष्ट्रीय कवि संगोष्ठी का आयोजन।  


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