आध्यात्म/ज्योतिस: हवन के बिना अधूरी है जानें ये खास बातें
अगर पूजा करते हैं तो जान लें कि इसमें हवन की भी खास जगह है। हवन के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी है
कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में तो हवन का महत्व और बढ़ जाता है। ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है, उतनी संख्या में जप या कलयुग में तो संख्या का चार गुना जप करना पड़ता है उसका दशांश हवन अति आवश्यक है।नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं।
आम की लकड़ी आमतौर पर हवन हेतु प्रयोग की जाती है। हवन की सम्पूर्ण सामाग्री चाहिए। जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। तिल के प्रयोग से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है। गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के लिए है। गाय के ही घी का प्रयोग करें। घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं।
। माना जाता है कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है। एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं। बगलामुखी पूजा के हवन में सरसों का प्रयोग किया जाता है। नवग्रह की लकड़ी का प्रयोग आपको प्रत्येक हवन में करना ही करना है
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