आज के संदर्भ में रमल ज्ञान बहुत सटीक:पायल झा
भारत ही नहीं दुनियांभर में मनुष्य अपने अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहता है, और इसलिए दुनियाभर में अलग-अलग तरीके से भविष्य बताने की अनेकों विधा है। भारत में ही लगभग 150 से ज्यादा ज्योतिष विद्या प्रचलित हैं। सभी मनुष्य अपने भविष्य जानने के लिए तमाम उपाय अपनाता है। इसलिए केवल भारत ही नहीं, दुनिया के अमूमन सभी देशों में भविष्य कथन की कोई न कोई पद्धति अपनाई जाती है। रमल शास्त्र इनमें से एक प्रमुख विधा के रूप में माना गया है। 
रमल शास्त्र से कोई भी जातक अपने तत्कालीन प्रश्नों का सही उत्तर ज्ञात कर सकता है। इस विधा के लिए जन्म विवरण की आवस्यकता नहीं होती।
आज के समय में अगर किसी जातक के पास भविष्य जानने के लिए उसका अपना जन्मकुंडली नहीं हैं या पूर्ण सुचना अपने जन्म समय के बारे में नहीं हैं तो वे अपने मन में उठे प्रश्नों का इच्छित लाभ प्राप्त रमन प्रश्नावली से कर सकते है।
रमल शास्त्र द्वारा दिया गया फलादेश बहुत सटीक प्राप्त किया जा सकता है। अपने इच्छित फल के बारे में जाना जा सकता है।
रमल विधा की उत्पत्ति भारत में ही हुई थी लेकिन इसका प्रचलन भिन्न रूप में अरब में ज्यादा रहा। भारत में रमल शास्त्र का उलेख शिव से माना गया है। ऐसा माना जाता है कि सती के वियोग से व्याकुल भगवान शिव के समक्ष भैरव ने चार बिंदु बना दिए और उनसे उसी में से महादेव को अपनी इच्छित प्रिया सती को खोजने के लिए कहा। विशेष विधान से उन्होंने इसे सिद्ध करके 7वें लोक में सती को देखा। तभी से इस तरह से भविष्य देखने का प्रचलन शुरू हुआ।
दूसरी कथा के अनुसार एक बार एक व्यक्ति अरब के रेगिस्तान में भटक गया। तब साक्षात शक्ति ने आकर उसके सामने चार रेखा और चार बिंदु बना दिए। उसे एक ऐसी विधि बताई कि वह गंतव्य स्थान का मार्ग जान गया, तभी से इस शास्त्र की उत्पत्ति हुई।
रमल विद्या में दरअसल प्रश्नों के आधार पर भविष्य कथन किया जाता है। इसमें किसी कुंडली की आवश्यकता नहीं होती। न ही पंचाग को देखना होता है। इसमें सारा खेल पासों का होता है। प्रश्नकर्ता के प्रश्न पूछते ही रमल ज्योतिषाचार्य एक विशेष प्रकार के चार्ट पर पासे फेंकता है। पासे में विभिन्न तरह के बिंदु बने होते हैं जिन्हें शकलें कहा जाता है। जो शकल आती है उसी के हिसाब से भविष्य कथन किया जाता है।
भारतीय अन्य 150 विधा में से सबसे चर्चित विधा के रूप में रमल ज्योतिष विद्या आज भी प्रचलित हैं।
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