ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा और उसका महत्त्व
हर युग में ज्ञान को सर्वोत्तम धन माना गया है। ज्ञान के बल पर ही महान ऋषि-मुनि साधारण मनुष्य से पूज्यनीय बनें। ज्ञान ही है जो किसी प्रतियोगिता में रंक को भी राजा बनाने की क्षमता रखता है। हिन्दू धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती जी को माना जाता है। संसार में फैली उदासी और अज्ञानता को समाप्त करने के लिए ब्रहमा जी द्वारा सरस्वती जी की रचना हुई। मान्यता है कि कलयुग में जो देवी दुर्गा के सरस्वती स्वरूप को प्रसन्न कर लें, उसके लिए तीनों लोकों की सभी वस्तुएं सरलता
बसंत पंचमी - 10 फरवरी से प्राप्त हो जाती हैं। यदि बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता या आप स्वयं अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो मां सरस्वती की पूजा करना आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। बसंत पंचमी और दीपावली के दिन सरस्वती जी की विशेष पूजा की जाती है, किन्तु आप चाहें तो प्रतिदिन मां सरस्वती की पूजा कर उनका आशीष प्राप्त कर सकते हैं।सरस्वती का अवतरण देवी भागवत पुराण के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन मां सरस्वती जी की विशेष पूजा करनी चाहिए। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अगर घर में मां सरस्वती की मूर्ति हो तो उसे गंगाजल आदि से शुद्ध करना चाहिए। मां को वस्त्रा, श्रृंगार, पुष्प आदि भेंट करने चाहिए। बसंत पंचमी के दिन सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करनी चाहिएगणेश जी की पूजा के बाद नवग्रहों करने का विधान है। इसके बाद देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। सरस्वती की महत्त्व ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा और उसका महत्त्व
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