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जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है :राजकुमार सिंह मान

जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है :राजकुमार सिंह मान 


जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है इस दुनिया में हर जीवीत प्राणी अपने जीवन को व्यतीत करने के लिए संघर्ष कर रहा है। जीवन में संघर्षों का सामना हर मोड़ पर एक नए रूप में करना पड़ता है फिर चाहे संघर्ष प्रकृति के साथ हो, स्वंय के साथ हो या परिस्तिथियों के साथ हो। तरह तरह के संघर्ष आये दिन हमारे सामने एक चुनौती के रूप में खड़े होते है। जिनसे सामना करना या डर कर भागना हमारा निर्णय होता है। हर सफल इंसान की जिंदगी में अपनी सफलता पाने के पीछे एक संघर्ष की कहानी जरूर होती है।


वास्तव में जब व्यक्ति अपने संघर्षों से दोस्ती कर लेता है, तो संघर्ष का सफर उसके लिए आसान बन जाता है। उसे कठिन-से-कठिन डगर को पार करने में मदद करता है लेकिन यदि व्यक्ति जबरन इसे अपनाता है और बेरुखी के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ता है तो वह ज्यादा दूर तक नहीं चल पाता। जब हम संघर्ष करते हैं तभी हमें अपने बल व सामर्थय का पता चलता है। संघर्ष करने से ही आगे बढ़ने का हौसला, आत्मविश्वास मिलता है और अंततः हम अपनी मंजिल को हासिल कर लेते हैं। हमे कभी भी संघर्ष और दुख को आपस में नही जोड़ना चाहिए क्योंकि आये दिन जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते है। जीवन को सिक्के के दो पहलू की तरह भी देखा जा सकता है। जिस प्रकार सिक्के के दो पहलू होते है उसी ऐसे प्रकार जीवन के भी दो पहलू होते. है। जिसमें एक तरफ सुख और दूसरी तरफ दुख होता है लेकिन कभी भी संघर्ष के समय को जीवन के दुखी पहलू में नही तोलना चला चाहिए। संघर्ष करते हुआ मत चलातेघबराना क्योंकि संघर्ष के दौरान ही इंसान अकेला होता हैलेकिन सफलता के बाद सारी दुनिया उसके व्यक्ति साथ होती है। इन दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसे विधार्थी अव्वल आ रहे हैं, जिनके जीवन में संसाधनों का अभाव था और उनका जीवन भी कई तरह की समस्याओं से घिरा हुआ था। सफलता की इस कड़ी में देश निकल की ऐसी बेटियाँ भी अव्वल आईं। जिनके पिता मजदूरी करते थे और ऐसे बेटे भी चमके, जिनकी परवरिश झुग्गी दृ झोंपड़ियों में संसाधनों के अभावों के बीच हुई। जिनकी माँ घर-घर साफ सफाई का काम करके पैसे जमा करतीं और पिता रिक्शा चला कर या मजदूरी कर घर चलाते। इस तरह संघर्ष पूरे परिवार ने एक साथ किया और अपने भाग्य को चमकाया। संघर्ष की लगन ही व्यक्ति की लक्ष्य की और गति को रहेथमने नहीं देती, आशा की किरण को टूटने नहीं देती, बल्कि उत्साह, उमंग को निरंतर बढ़ाती है और यही कारण है कि आज देश में अभावों के अंधेरों मिसाइलमैंन के बीच भी सफलता की रोशन राहें इंसान निकल रही है। भारत में अनेक ऐसे महापुरूष है जिनकी संघर्ष की अदभुत कहानियां आज हमें प्रेरणा देती है की संघर्ष एक दिन सफलता का करण बनता है। ऐसे ही एक महापुरूष भारत के राष्ट्रपति रह चुके, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जोकि एक वैज्ञानिक थे। इन्हें मिसाईलमेन के नाम से भी जाना जाता था। डॉ कलाम ने भी अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया लेकिन अभावों के बावजूद भी वे आगे बढ़ते रहे। शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा। यदि वे उन संघर्षों से हार जाते तो शायद ही मिसाइलमैंन नही बन पाते। संघर्ष से इंसान कामयाबी पाता है। कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है।


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