करोड़पति बनाता है कुंडली का विष्णु योग
चंदरकिरण गुप्ता
जातक की जन्मकुंडली में उसके जीवन का सम्पूर्ण विवरण निहित होता है। जन्मकुंडली का अध्ययन करके यह बताया जा सकता है कि जातक का जीवन दुःखमय व्यतीत होगा या सुखमय। कुंडली में अनेक प्रकार के योग होते हैं। यहां पर त्रिमूर्ति योग अर्थात् ब्रह्मा योग, विष्णुयोग तथा शिवयोग से संबंधित प्रमुख बातों की जानकारी दी जा रही है। जब बृहस्पति और शुक्र क्रमशः नवमेश तथा एकादशेश से केन्द्र में हों और बुध भी लग्नेश या दशमेश से केन्द्र में रहता है तो जातक की कुंडली में ब्रह्मायोग बनता है। यह योग मेष लग्न वालों की कुंडली में नहीं बन सकता क्योंकि उस कुंडली में बृहस्पति स्वयं नवम भाव में नहीं हो सकता। इसी प्रकार कर्क लग्न वालों की कुंडली में भी यह योग नहीं बनता क्योंकि नवमेश तथा एकादशेश क्रमशः बृहस्पति व शुक्र होते हैं। इसी कारण दोनों स्वयं केन्द्र में नहीं बन सकते।
कन्या एवं धनु लग्न वालों की कुंडली में भी यह योग नहीं बनता। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि 'ब्रह्मायोग मेष, कर्क, कन्या एवं धनु लगन वाले जातकों को छोड़कर बाकी सभी लग्नों में इसका निर्माण हो सकता है। जिस किसी भी जातक की जन्मकुंडली में ब्रह्मायोग होता है,उसे विद्वान एवं धनवान होने से कोई नहीं रोक सकता। जिस स्त्री या पुरूष की कुंडली में यह योग होता है तो वह धन धान्य से पूर्ण, श्रेष्ठ विद्वान एवं विश्व में ख्याति पाने वाला होता हैवह सदैव धार्मिक एवं सत्कार्यों में लगा रहता है। ब्रह्मायोग वाले जातक का गु 2 धन्: शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कुण्डली में नवम भाव का स्वामी जिस नवमांश में हो तथा उसका स्वामी दसमेश एवं नवमेश के साथ दूसरे भाव में स्थित हो तो उस कुण्डली में 'विष्णुयोग बनता है। नवमेश का नवमांश अधि. पति,दसमेश या नवमेश से युति बनाये या तीनों द्वितीयभाव में हों तो कुंडली यह योग बनता है। जिस जातक स्त्री, पुरूष की जन्मकुंडली में विष्णुयोग बनता है, वह सुन्दर व बलवान होता है तथा भगवान विष्णु एवं भगवती लक्ष्मी की कृपा से वह युक्त होता है। यह जातक बहुत जावलालाम्पा के चुत चाता ही बुद्धिमान, वाकपटु होने के साथ-साथ सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं से युक्त रहता है। वह शतायु होकर बिना किसी रोग व्याधि के जीवन को बिताता है। विष्णुयोग का जातक करोड़पति अवश्य बनता है। जब किसी जातक की कुंडली में पंचमेश नवम् में हो, नमवेश दशम् में हो तथा दशमेश पंचम में हो तो उसकी कुण्डली में 'शिवयोग' बनता है। पंचमेश नवम् में होने के कारण ऐसा व्यक्ति धार्मिक होता है। उसे अंतर्दृष्टि प्राप्त होती हैवह भाग्यशाली होता है। दशमेश पंचम में होने के कारण उसमें निर्देशन की अच्छी क्षमता होती है। वह विपुल धन अर्जित करता है। उसमें समझने की गजब की क्षमता होती है। पंचमेश दशम में होने से व्यक्ति को विद्या भी खूब मिलती है।
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