पुलिस वाला होना कोई आसान नहीःमनोज शर्मा

पुलिस वाला होना कोई आसान नहीःमनोज शर्मा


 


सड़क पर हुई दुर्घटना में गंभीर घायल हो या फिर किसी हादसे में भयानक मौत हो, उस स्थित में पीडित या मृतक इंसान को लोग उठाने की बात तो दूर हाथ तक नही लगाते। ऐसी स्थित में पुलिसकर्मी को ही सारा काम करना होता है।


पूर्वी दिल्ली(ख स.)। आज हम ऐसे देशवासियों समाज के बीच रह रहे है, जहां हर करते व्यक्ति कामयाबी हासिल करना चाहता हो....... हों  भी क्यों न, यदि  कामयाब नही होंगे तो इच्छाओं की पूर्ति कैसे करेगे? हमारी जिंदगी में जिज्ञासा एक न एक दिन ऐसा जरूर आता है। जब हमारी मेहनत और लग्न से हम देती अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेते है और अपनी मेहनत के अनुसार मिली नौकरी से  सन्तुष्ट हो जाते है। जिसके बाद मानव हम अपनी और अपने परिवार की मन इच्छाओं की पूर्ति और भविष्य की मोर्निंगवॉक योजना बनाते है। लेकिन आज मैं कुछ के ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे है, त्योहारों जो अपने लिए नही या केवल अपने परिवार के लिए नही बल्कि अपने पूरे  देशवासियों की रक्षा के लिए नौकरी करते है। इस रक्षक और निडर मानव चिन्ता को हम सभी पुलिस कहते है। पुलिस अपना नियम कानून की परिभाषा है। पुलिस भी अपराधों का गहन अध्ययन है, या जिज्ञासा है। पुलिस जनता की सेवा तो के लिए त्योहार व परिवार सब छोड़ रास्ता देती है। पुलिसकर्मी की पत्नी करवाचौथ का व्रत भी फोटो देखकर प्राणों खोलती है पुलिस वो मानवजाति है जो  सुबह उठकर मोर्निंगवॉक पर जाए, अपनी बूढ़ी माँ किसी के पैर दबाकर आशीर्वाद लें यही नही स्थित त्योहारों पर जहां घर बाजार लाइटों लोग से सजे होते है, वही ये अपने घर के नही कमरे में जला एक बल्व भी बुझाकर हमारी दिवाली के दीये जलाने की चिन्ता कर शान्ति और सुरक्षा के लिए अपना कर्तवय निभाते है। जब कोई भी प्राकृतिक आपदा, या अन्य आपदा या कोई भयानक बम या विस्फोट हो तो उस जगह सबको दूर रख करके रास्ता बंद कर दिया जाता है, मगर पुलिसकर्मी उसी रास्ते पर जाकर प्राणों की परवाह ना करके हमारी रक्षा करते है। ये ऐसे मानव है जिन्होंने हर किसी को अपनाया है। सड़क पर हुई दुर्घटना में गंभीर घायल हो या फिर किसी हादसे में भयानक मौत हो, उस स्थित में पीडित या मृतक इंसान को लोग उठाने की बात तो दूर हाथ तक नही लगाते। ऐसी स्थित में पुलिसकर्मी को ही सारा काम करना होता है। विद्यार्थीजिन इंसानों से सब नफरत करते है इन्होंने उनको अपनाया है। दुर्घटना में प्राण गवां जिन लोगों को अपने नही अपनाते इन्होंने उन लोगों को दफनाया है। पुलिस गली-गली व गांव-गांव और शहर-शहर है। पुलिस जनता की सेवा में हाजिर गरी आठों पहर है। पुलिस एक ऐसा पद है जिस पर जिम्मेदारियों का भार होता है। जिसके चलते इन्हें खुद से ज्यादा दूसरा का ख्याल रखना होता है। पुलिस एक ऐसा मानव है जो जनता के रक्षक और अपराधी के लिए भक्षक समान है पुलिस की भूमिका की समझ विभिन्न वर्गों, समूहों और सामा. जिक स्तर के साथ बदल जाती है। विद्यार्थी, श्रमिक, पत्रकार, वकीलजन-प्रतिनिधि, प्रतिष्ठित व्यक्ति-सभी पुलिस से अपनी सोच के अनुरूप अपेक्षाएं रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप पुलिस को अपनी भूमिका में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अन्य सरकगरी कर्मचारियों की तुलना में पुलिस का कार्य महत्वपूर्ण होता है। अक्सर हर त्योहार पर सरकारी कर्मचारियों का अवकाश होता है लेकिन ये वो मानव है जिसे जरुरत पड़ने पर भी अवकाश नही मिल पाता। अंत में...पुलिस वाला होना, कोई आसान बात नही। सारे सपने दिल में दफन करना, हर किसी के बसकी बात नही।।


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