ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी वेदव्यास आनंद सरस्वती की 33वीं पुण्यतिथि पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित

 आज श्री गीता आश्रम में आश्रम संस्थापक ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी वेदव्यास आनंद सरस्वती की 33 वीं  पुण्यतिथि पर आश्रम में धार्मिक कार्यक्रमों के अंतर्गत अखंड रामचरितमानस पाठ, गीता पाठ यज्ञ भजन कीर्तन एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी ललिता आनंद गिरि हरिद्वार द्वारा की गई। स्वामी जी ने कहा की ब्रह्मलीन दादा गुरु स्वामी वेद व्यासानंद जी गीता के अद्भुत व्याख्याकार थे।

 ब्रह्मलीन दादा गुरु स्वामी वेद व्यासानंद जी गीता के सिद्धांतों पर चलते हुए गीता का प्रचार प्रसार देश-विदेश में करते रहे। गीता के प्रचार प्रसार में उन्होंने भरपूर योगदान दिया और साथ ही उन्होंने गीता आश्रम की स्थापना की जहां निरंतर जन सेवा एवं धर्म प्रचार के कार्य किया जा रहे हैं। 

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री उत्तराखंड चंद्रशेखर जोशी जी ने कहा कि गीता से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है अध्यात्म एवं संस्कृति की नितांत आवश्यकता है जो की संत महात्माओं के सानिध्य एवं इन आश्रमों में प्राप्त होती हैं प्रमुख महानुभावों में ब्रह्मपुरी श्री राम आश्रम के जगतगुरु स्वामी देवाचार्य दयाराम दास जी महाराज, आचार्य ललितानंद जी, अखिल प्रेमानंद जी, आचार्य शांति प्रसाद मैथानी, महंत स्वामी विजय आनंद जी, महंत अनिता दास जी, सखी जी राज्य मंत्री उत्तराखण्ड गिरीश डोभाल  दिनेश सती जी पूर्व महापौर श्रीमती अनीता ममगाईं अध्यक्ष नगर पंचायत स्वर्ग आश्रम श्रीमती बिंदिया अग्रवाल इंद्र प्रकाश अग्रवाल राजनरेश शर्मा कृष्णधार मिश्रा गिरीश शुक्ला अश्विनी शर्मा बिट्टू शर्मा और चंद्र मित्र शुक्ला उपाध्याय जी प्रेम प्रसाद आदि महानुभावों ने ब्रह्मलीन स्वामी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया भारत माता मंदिर हरिद्वार के प्रबंधक  आई डी शास्त्री नवीन शर्मा मनोज जी एवं अनेक महानुभावों ने उपस्थित होकर श्रद्धांजलि अर्पित की कार्यक्रम का संचालन भानु मित्र शर्मा ने किया। ट्रस्ट अध्यक्ष डॉ दीपक गुप्ता ने कहा कि पूज्य गुरुदेव की परंपरा का निर्वहन ट्रस्ट द्वारा निरंतर किया जा रहा है पूज्य संतों का आशीर्वाद एवं संरक्षण सदैव प्राप्त होता रहा है और भविष्य में भी मिलेगा। कार्यक्रम के उपरांत विशाल भंडारा कार्यक्रम संपन्न हुआ बड़ी संख्या में साधु संत भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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