उत्तराखंड (ख.स.)। उत्तराखंड में आज भी आधे से अधिक आबादी अभाव ग्रस्त है। परिवार के पास स्पष्ट व टिकाऊ रोजगार नहीं है।
घर हैं तो शौचालय नहीं है, अलग रसोई भी नहीं है, सामान्य स्कूल नहीं हैं, सामान्य स्कूल में भी पढ़ाने की क्षमता नहीं है, बीमारी में चिकित्सा तो सपना है, उत्तराखंड में जनगणना का पहला लक्ष्य होना चाहिए कि हम ऐसे परिवार चिन्हित करें जिनकी आय राज्य की औसत वार्षिक आय से कम है और दूसरा लक्ष्य उपरोक्त प्रकार के परिवारों को चिन्हित कर उनके लिए एक तीन वर्षीय और पांच वर्षीय योजना बनानी चाहिए। मेरा स्पष्ट मानना है कि यदि आंकड़े उपलब्ध हों तो ऐसे परिवारों को लक्ष्य बनाकर ऐसी बहुत सारी योजनाओं को लागू कर इन परिवारों की औसत आय को तीन वर्ष के अंदर राज्य की औसत आय के बराबर लाया जा सकता है और 5 से 6 वर्ष के अंदर ऐसे परिवारों की औसत न्यूनतम आय को 5 लाख तक पहुंचाया जा सकता है और एक खुशहाल उत्तराखंड बनाया जा सकता है, 50 प्रतिशत आबादी अभाव में हो तो खुशहाल उत्तराखंड केवल नारा है।
हमें जातीय जनगणना आंकड़े उपलब्ध करवाती है, सोच और संकल्प हमारा होना चाहिए।
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