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भारत में अब हिंसा व बर्बरता के लिये कोई स्थान नहीं : स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी

पहलगाम आतंकी हिंसा पर खुल कर बोले स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी भारत में अब हिंसा व बर्बरता के लिये कोई स्थान नहीं पहलगाम आतंकी हिंसा में मारे गये सभी मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये की विशेष पूजा भारत,केवल एक भूखंड नहीं,बल्कि सम्पूर्ण जीवन-दर्शन स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश,(ख.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पिछले तीन दिनों से भारत माता अपनी संतानों को खोने के दर्द से झुलस रही है। उनका दिल पीड़ा से भरा हुआ है, क्योंकि उसी की गोद में ऐसी हिंसा और बर्बरता हुई, जो हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों के विपरीत है। दुःख की बात तो यह है कि भारत माता की संतानों को, बिना किसी अपराध के, धर्म के नाम पर निशाना बनाया गया, जो हमारे समाज की सहिष्णुता और एकता के लिये एक बड़ी चुनौती है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की धरती पर धर्म, संस्कृति और सहिष्णुता के नाम पर हिंसा का कोई स्थान नहीं है। भारत, केवल एक भूखंड नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है। एक ऐसी संस्कृति, जिसने हजारों वर्षों से “वसुधैव कुटुम्बकम्” के मंत्र को जिया है। यह वह भूमि है जहाँ शरणार्थियों को शरण मिली, आक्रांताओं को क्षमा मिली और हर पथिक को अपनत्व मिला। यहाँ भगवान बुद्ध की करुणा है, तीर्थंकर महावीर का अहिंसक संदेश है, प्रभु श्री राम जी की मर्यादा है और भगवान श्री कृष्ण जी की समता है। इस धरती ने कभी किसी को पराया नहीं माना परन्तु आज, जब उसी भारत की धरती पर उसकी ही संतानों पर आघात हो रहा है, तो यह केवल किसी एक समुदाय या भूभाग पर हमला नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की आत्मा पर आघात है।

भारत ने अपने इतिहास में न जाने कितनी बार दर्द सहे, कितनी ही बार विभाजन, विध्वंस और विघटन का सामना किया, पर हर बार उसने जवाब दिया। आज की सबसे बड़ी चुनौती है असहिष्णुता और अलगाव की मानसिकता का बढ़ता विष। यह केवल भारत की नहीं, पूरे विश्व की चुनौती है। जब भारत जैसा देश, जो प्रेम और करुणा का प्रतीक रहा है, पीड़ा से गुजरता है, तो यह केवल एक राष्ट्र का दुःख नहीं, सम्पूर्ण मानवता का दुःख है।

आज यह आवश्यक है कि भारत की आत्मा को आहत न होने दिया जाए, क्योंकि यह आत्मा केवल भारतवासियों की नहीं, समस्त मानवता की थाती है। आज भारत यदि हिंसा की आग में झुलसेगा, तो पूरी दुनिया में शांति की लौ मंद पड़ेगी। यदि भारत की सहिष्णुता पर आंच आएगी, तो वैश्विक संतुलन डगमगाएगा इसलिए यह समय है एकजुट होकर खड़े होने का, जाति, पंथ, भाषा, भूगोल से ऊपर उठकर, एक मानव और एक भारतीय के रूप में साथ आने का समय है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की आत्मा आज भी जीवित है, और वह आत्मा न हथियारों से डरती है, न नफरत से झुकती है। वह आत्मा प्रेम, शांति और सत्य के मार्ग पर अडिग है। भारत की आत्मा कभी पराजित नहीं हो सकती। जो भूमि भगवान बुद्ध, तीर्थंकर महावीर, श्री राम और महात्मा गांधी जी की है, वह घृणा और हिंसा को टिकने नहीं दे सकती। आज आवश्यकता है कि हम भीतर से भारत बनें, जहाँ प्रेम हो, करुणा हो और सभी को साथ लेकर चलने का साहस हो। 

स्वामी जी ने कहा कि जब अंधकार बढ़ता है, तो दीप जलाना ही उत्तर होता है। आज भारत को एकता व एकजुटता का दीप जलाने की आवश्यकता है क्योंकि यह किसी राजनीतिक पार्टी या राज्य का नहीं बल्कि भारत माता और उनकी संतानों की सुरक्षा के लिये जरूरी है।

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