लोकतांत्रिक देश में इतनी अराजकता आखिर क्यों?

नई दिल्ली (ख.स)। भारत एक लोकतांत्रिक देश है आजकल हर राज्य में अपराधो में वृद्धि होने लगी है खासकर दलित के साथ आए दिनों शुद्र समाज और अन्य संप्रदाय के लोगों के साथ घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है, यहां तक की सांसदों के ऊपर भी हमले और अन्य घटनाएं हो रही है। जनप्रतिनिधियों को मंदिर में पूजा करने से भी रोका जा रहा है राजस्थान में भी ऐसी घटना घटी इसी तरह का मामला उज्जैन की नगरी महाकाल के दर्शन के लिए स्थानीय विधायक को भी रोका गया। 

इस तरह की घटनाओं के जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है। इस तरह की घटनाएं ज्यादा देखने को मिल रही है। 

महिला अधिवक्ता के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया यह बेहद चौंकाने वाला और निंदनीय है कि महाराष्ट्र के शहर अंबाजोगाई में सत्र न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाली एक महिला अधिवक्ता पर गांव के सरपंच और उसके करीब दस साथियों ने बेरहमी से हमला किया।

 पीड़िता को कथित तौर पर एक कृषि क्षेत्र में घेर लिया गया और लाठी और जेसीबी पाइप से पीटा गया, जिससे वह बेहोश हो गई। 

उसका एकमात्र "अपराध" यह था कि उसने गांव में अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण के बारे में अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज करने के अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग किया था, जिससे उसकी माइग्रेन की बीमारी और भी गंभीर हो गई थी। 

उसने अपने घर के पास आटा मिलों के अवैध संचालन और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी वैध आपत्ति जताई थी। 

यह घटना सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं है, यह न्यायालय के एक अधिकारी और न्याय के मूल ढांचे पर सीधा हमला है।

 जब एक अधिवक्ता, कानूनी व्यवस्था के एक अधिकारी को संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए निशाना बनाया जाता है, तो यह जमीनी स्तर पर शासन और कानून प्रवर्तन की पूरी तरह से विफलता को दर्शाता है।

 बीड के पुलिस अधीक्षक और बीड जिला बार एसोसिएशन को तत्काल संज्ञान लेने की जरूरत है।

महाराष्ट्र और गोवा की बार काउंसिल को हस्तक्षेप करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। 

क्या इस शर्मनाक घटना का जवाब नहीं दिया जाना चाहिए?

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