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परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और गुजरात के गृहमंत्री, श्री हर्ष संघवी जी की सूरत में हुई दिव्य भेंटवार्ता

ऋषिकेश/सूरत, (ख.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और गुजरात सरकार के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी जी की सूरत में एक दिव्य एवं प्रेरणास्पद भेंटवार्ता संपन्न हुई। इस शिष्टाचार भेंटवार्ता में भारत के समग्र विकास, आध्यात्मिक पुनर्जागरण और जनसेवा के महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विमर्श हुआ।

इस भेंट में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में आध्यात्मिकता और सेवा के समावेश की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा हुई। स्वामी जी ने इस बात पर बल दिया कि केवल भौतिक विकास से ही भारत महान नहीं बनेगा, अपितु जब सेवा, संवेदना और आध्यात्मिक चेतना का समावेश हमारी नीति और नीयत दोनों में होगा, तभी भारत वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को साकार कर सकेगा।

आज राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देश की प्रगति में सतत योगदान देने वाले सभी सिविल सेवकों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुये कहा कि सिविल सेवा अर्थात सब की सेवा, सिविल सेवा अर्थात समर्पण भाव से सेवा। जहां सब की सेवा हो, बिना भेदभाव के सभी को लाभ मिले यही भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी का भी विज़न है। हम भारत में रहते हैं, सांस लेते हैं, हवा, पानी भारत से लेते है इसलिये अब राष्ट्र प्रथम, राष्ट्रवाद प्रथम और राष्ट्र के लिये जीना जी हमारा ध्येय हो।

स्वामी जी ने कहा कि सिविल सेवक राष्ट्र की रीढ़ हैं, जो निःस्वार्थ भाव से सेवा, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा के साथ देश के निर्माण में जुटे हैं। प्रशासनिक सेवा केवल नौकरी नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। ऐसे कर्मयोगी अधिकारी भारत को सक्षम, सुशासित और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिन उनके योगदान को नमन करने और सेवा के संकल्प को दोहराने का अवसर है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गुजरात की धरती केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक नहीं है, यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना की भी धरोहर है। यहाँ से उठने वाली विचारधारा भारत के समग्र विकास में सदैव अग्रणी रही है। महात्मा गांधी से लेकर सरदार पटेल और वर्तमान में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व गृह मंत्री अमित शाह जी तक गुजरात ने भारत को न केवल महान नेता दिए हैं, बल्कि जनसेवा, औद्योगिक विकास और सांस्कृतिक चेतना के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। आज जब भारत विकसित भारत 2047 के स्वप्न को साकार करने की दिशा में अग्रसर है, तो गुजरात जैसे राज्यों की सक्रिय भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्र निर्माण कोई एक व्यक्ति या संस्था का कार्य नहीं है, यह एक साझा संकल्प है, जिसमें सभी को सहभागिता करनी होगी।

गुजरात के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी जी ने कहा कि, सेवा, सुरक्षा और समर्पण की भावना से ही हम एक मजबूत और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। गुजरात सरकार न केवल शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के लिए संकल्पित है, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुँचाने का भी निरंतर प्रयास कर रही है।

स्वामी जी ने युवाओं का आह्वान करते 4 आई प्रोग्राम्स इंफॅर्मेशन, इंस्पिरेशन, इंम्लीमेंटेशन और इनोवेशन तथा 4 टी प्रोग्राम्स टाइम, टेलेंट, टेक्नोलाॅजी और टेनेसिटी के माध्यम से देश के विकास में योगदान देने हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि युवा शक्ति को केवल तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि आत्मिक दिशा की भी आवश्यकता है। जब भीतर सेवा का संस्कार और बाहर कार्य करने का साहस होता है, तभी एक सशक्त भारत का निर्माण होता है।

स्वामी जी ने गुजरात के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी जी को सपरिवार गंगा जी की आरती के लिये परमार्थ निकेतन में आमंत्रित किया।

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