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असम की पहल: माता-पिता की देखभाल में लापरवाही पर सैलरी से कटौती – क्या यह बाकी राज्यों में भी लागू होनी चाहिए?

असम देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ यदि आपने माता पिता का ख्याल नहीं रखा तो आपकी सैलरी से 10-15% रुपये कटकर माता-पिता के खाते में चले जाएंगे ताकि उनका बुढ़ापे में गुज़ारा हो सके... क्या ये योजना बाकी राज्यों में भी लागू होनी चाहिए ?



नई दिल्ली (ख.स.)। असम सरकार की अतिमहत्वपूर्ण पहल माता-पिता हमारे जीवन की नींव होते हैं। वे अपने बच्चों की परवरिश में जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा खर्च कर देते हैं – अपनी नींद, सुख-सुविधा, और यहां तक कि सपने भी त्याग कर, ताकि उनका बच्चा एक बेहतर भविष्य बना सके। लेकिन जब वही माता-पिता बुढ़ापे की दहलीज़ पर होते हैं, तो कई बार उन्हें उसी संतान से उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए उन्होंने सब कुछ कुर्बान किया होता है।

इसी भावनात्मक और सामाजिक सच्चाई को ध्यान में रखते हुए, असम देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने एक अनोखी और सराहनीय पहल की है। अब यदि कोई संतान अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करती, तो उसकी सैलरी से 10-15% तक की राशि काटकर सीधे माता-पिता के खाते में भेज दी जाएगी, ताकि उनका बुज़ुर्ग जीवन सुरक्षित और सम्मानजनक रह सके।

क्यों जरूरी है यह कानून?

बदलते सामाजिक ढांचे में आज संयुक्त परिवार की परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है। शहरीकरण, नौकरी की भागदौड़ और जीवनशैली में बदलाव के कारण बुजुर्ग माता-पिता अक्सर अकेले रह जाते हैं। कई बार उन्हें न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उपेक्षा सहनी पड़ती है। ऐसे में इस तरह की कानूनी सुरक्षा उनका सहारा बन सकती है।

इस योजना का उद्देश्य न केवल माता-पिता को आर्थिक सहयोग देना है, बल्कि बच्चों को यह याद दिलाना भी है कि बुजुर्ग माता-पिता की सेवा और देखभाल केवल एक नैतिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

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