उज्जैन (ख.स.)। गढ़ कालिका मंदिर, चाहे धार का हो या उज्जैन का, दोनों ही ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। धार का मंदिर पंवार वंश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है, जबकि उज्जैन का मंदिर कालिदास और शक्तिपीठ के कारण वैश्विक ख्याति रखता है।
गादीपति महंत आदित्यनाथ पुजारी बहन टीनानाथ श्री गढ़ कालिका शक्तिपीठ उज्जैन पुजारी ने बताया की नवरात्रि के दौरान मंदिरों में भक्तों की भीड़ और विशेष पूजा-अर्चना होती है।
उज्जैन का मंदिर राष्ट्रीय और तांत्रिक महत्व रखता है, जो कालिदास और शक्तिपीठ से जुड़ा है।गढ़ कालिका मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
स्थान: यह मंदिर उज्जैन के कालीघाट क्षेत्र में स्थित है और प्राचीन अवंतिका नगरी का हिस्सा है।
कालिदास से संबंध महाकवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। मान्यता है कि उनकी प्रतिभा का विकास इस मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद हुआ। कालिदास द्वारा रचित 'श्यामला दंडक' महाकाली स्तोत्र यहीं से प्रेरित माना जाता है।प्राचीनता मंदिर की स्थापना महाभारत काल से मानी जाती है, हालांकि मूर्ति सतयुग की बताई जाती है।
0 टिप्पणियाँ