सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की अखिल भारतीय तीन दिवसीय कार्यशाला का परमार्थ निकेतन में भव्य आयोजन

ऋषिकेश,(ख.स.)। पर्यावरण संरक्षण को लेकर समर्पित प्रयासों की श्रृंखला में आज परमार्थ निकेतन में शिक्षण संस्थान कार्यविभाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की अखिल भारतीय तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पर्यावरणविद् एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक श्री गोपाल आर्य जी एवं देशभर से आए शिक्षाविदों, पर्यावरण प्रेमियों व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम की शुभारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री गोपाल आर्य जी सहित सभी विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसी प्रेरणादायक संस्था है, जो भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों की रक्षा के लिये समर्पित है। भारत के पुनर्निर्माण में भी अद्भुत योगदान दे रही है। यह संगठन विगत 100 वर्षों से निःस्वार्थ भाव से समाज के हर वर्ग तक सेवा, संस्कार और स्वाभिमान का संदेश पहुँचा रहा है।
संघ के स्वयंसेवक जहां एक ओर सामाजिक समरसता और राष्ट्रभक्ति को जाग्रत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 

स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल एक दायित्व नहीं, यह हमारा धर्म है। जब तक हम अपने जीवन में धरती, जल, वायु, अग्नि और आकाश को पंचभूत के रूप में नहीं अपनाते, तब तक सच्चा संतुलन नहीं आ सकता। हमारी संस्कृति ने सदियों से प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। 

स्वामी जी ने विशेष रूप से युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि वे प्रकृति संरक्षण को अपने जीवन का मिशन बनाएं, प्लास्टिक मुक्त जीवन, जल संरक्षण, वृक्षारोपण और जैविक कृषि जैसे प्रयासों को अपनाएं। यूज एंड थ्रो से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़े।

श्री गोपाल आर्य जी ने कहा कि सनातन संस्कृति में प्रकृति को देवतुल्य माना गया है। वायु को प्राण, जल को जीवन, भूमि को मां और अन्न को देवता के रूप में पूजने की परंपरा रही है परन्तु आधुनिक जीवनशैली ने इन्हें मात्र उपयोग की वस्तुएं बना दिया है, यहीं से संकट की शुरुआत होती है।

उन्होंने कहा कि वैदिक काल में भूमि को माता कहा गया, लेकिन आज हमने उसे केवल प्रॉपर्टी का टुकड़ा मान लिया है। जल, जो जीवन का मूल है, आज केवल नल से बहता पानी बन गया है। अन्न जो देवता था, आज केवल खाने की वस्तु है। यह सोच और व्यवहार हमें हमारी संस्कृति से दूर कर रहे है।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम उपयोग से आगे बढ़कर उपासना की ओर लौटें। लोगों में प्रकृति के प्रति संवेदना और श्रद्धा जागृत करना ही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। तभी पर्यावरण संरक्षण एक जनआंदोलन बन सकता है।

कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को संकल्प कराया कि वे अपने-अपने शिक्षण संस्थानों व समुदायों में जाकर पर्यावरण संरक्षण को जन-जन का आंदोलन बनाएं ताकि मिलकर एक हरित, स्वच्छ और संतुलित भारत की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।

इस अवसर पर शिक्षण संस्थान के अखिल भारतीय प्रमुख डा अनिल जी, भारत के सभी प्रांतों के कार्यकर्ता बहन-भाई उपस्थित रहे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बारिश भी नहीं रोक पाई आस्था का सैलाब, हज़ारों भक्त, कनक दंडवत, डिग्गी कल्याण पद यात्रा : विजय शंकर पाण्डेय

  बारिश भी नहीं रोक पाई आस्था का सैलाब, हज़ारों भक्त, कनक दंडवत, डिग्गी कल्याण पद यात्रा : विजय शंकर  पाण्डेय   जयपुर (ख.सं.)।  जयपुर डिग्गी कल्याण जी पदयात्रा रवाना आज जयपुर ताडकेश्वर मन्दिर चौडा रास्ता से हर वर्ष की तरह डिग्गी कल्याण जी लखी पदयात्रा रवाना हुई जिसका रास्ते में भक्तो द्वारा जगह जगह स्वागत नाश्ता, भोजन व्यवस्था रहेगी। आज ताडकेश्वर मन्दिर से आयोजक श्री जी लोहिया द्वारा उप मुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी जी, एम एल ए गोपाल शर्मा, त्रिवेणी धाम खोजी जी द्वाराचार्य श्री राम रिछपाल दास जी, अवधेशाचार्य जी, धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय ने ध्वज पूजन कर रवाना किया इस अवसर पर श्री जी लोहिया ने सभी को माला दुप्पटा ओढा कर सम्मान किया इस अवसर पर धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय बताया कि डिग्गी कल्याण जी की 60वीं लक्खी पदयात्रा 31 जुलाई को जयपुर के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से शुरू हुई थी। यह यात्रा लगभग 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और 4 अगस्त को डिग्गीपुरी कल्याण जी मंदिर पहुंचेगी।  हमारे खबर संग्रह संवाददाता को यात्रा के मुख्य बिंदु चर्चा में बताया कि यात्र...

जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन:मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

नई दिल्ली (ख.स.)। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने जो कहा उसकी अपेक्षा एक मुख्यमंत्री से की जाती है, ये बात सही है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है जिसमें मुख्यमंत्री के हाथ में सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन फिर भी उमर अब्दुल्ला ने जो चिंता पहलगाम हमले के बाद विधानसभा के विशेष सत्र में ज़ाहिर की, उसने राष्ट्र के मसले पर भारत की मजबूत एकता का ही एक प्रमाण दिया है। जो एक बड़ी बात है जो उमर अब्दुल्ला ने कही कि बेशक उनके हाथ में कुछ नहीं है लेकिन मेज़बान होने के नाते उनकी ज़िम्मेदारी थी कि जो लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से कश्मीर आए उन्हें सकुशल वापस भेजा जाए जो नहीं हुआ।  मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला विधानसभा में भावुक होकर बोले कि इस हमले ने हमें अंदर से खोखला किया है, क्या जवाब दूं मैं उस नेवी अफसर की विधवा को, उस छोटे बच्चे को जिसने अपने पिता को खून में लथपथ देखा है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अतीत में हमने कश्मीरी पंडितों और सिख समुदायों पर आतंकी हमले होते देखे हैं, लंबे वक्त के बाद ऐसा हमला हुआ है. मेरे पास पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मा...

उत्तर रेलवे ने सिगनल प्रणाली को आधुनिक

उत्तर रेलवे ने सिगनल प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए रेलटेल एंटरप्राइजिज के साथ समझौता:टी.पी. सिंह   नई दिल्ली (ख स.) रेलटेल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी रेलटेल एंटरप्राइजिज लिमिटेड(आर.ई.एल.) को उत्तर रेलवे के 13 रेलवे स्टेशनों पर  पुराने मैकेनिकल सिगनलिंग उपकरणों को बदलने और उनके स्थान पर अत्याधुनिक इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली लगाने का कार्य सौंपा गया है । मौजूदा मैकेनिकल सिगनलिंग प्रणाली में सिगनलडाउन  करने और पटरियों को बदलने के लिए लीवर फ्रेमों का इस्तेमाल होता है । नई इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिगनलिंग प्रणाली माऊस के एक क्लिक से ही सिगनल डाउन  करने और पटरियों को बदलने में सक्षम होगी ।  आर.ई.एल. को जिन 13 रेलवे स्टेशनों का कार्य सौंपा गया है उनमें से 3 दिल्ली मंडल और 10 अम्बाला मंडल के हैं । दिल्ली मंडल के 3 स्टेशनों में कलायत, कैथल और पेहोवा रोड और अम्बाला मंडल के 10 रेलवे स्टेशनों में आनन्‍दपुर साहिब, नंगलडैम, रोपड़ थर्मल प्लांट, बलुआना, गिद्दडबाहा, मलौट, पक्की, पंजकोसी, हिंदूमलकोट और फ...