.....तो क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' के प्रतिरक्षात्मक मायने को समझ पाएगी 'आतंकी दुनिया'? या फिर.....!


ताजा सैन्य कार्रवाई की खास बात यह है कि भारतीय सेना ने सिर्फ पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया है और वहां के किसी भी सरकारी बिल्डिंग या फिर पाकिस्तान के किसी नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया है, जो भारत की शांतिप्रियता और आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति को दर्शाता है।



नई दिल्ली (ख.स.)। पहलगाम 'सांप्रदायिक' आतंकी हमले के बाद भारत ने अपने पड़ोसी शत्रु देश पाकिस्तान के ऊपर आरोप लगाते हुए वहां स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर अपने इंडियन आर्मी के तीनों थल सेना, नौ सेना, और वायु सेनाओं के एक संयुक्त अभियान के मार्फ़त जो ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक किए हैं, वह भारतीय स्वाभिमान की रक्षा की दिशा में उठाया हुआ एक उचित कदम है। उम्मीद है कि मोदी सरकार अब इस सिलसिले को थमने नहीं देगी, खासकर तबतक जबतक कि आतंकियों का समूल रूप से नाश नहीं हो जाए। सूत्रों के अनुसार खबर आ रही है कि पीएम आवास से पीएम मोदी पूरा ऑपरेशन देख रहे थे। ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी की नजर थी।
वहीं, एहतियाती तौर पर भारत सरकार ने अपने देश को इंडियन एयरफोर्स के सहारे हाई अलर्ट मोड पर रखे हुए है, ताकि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का जवाब दिया जा सके। हमारा स्पष्ट मानना है कि भारत के इस पलटवार के प्रतिरक्षात्मक मायने को न केवल पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान यानी बंगलादेश और चीन को समझना चाहिए, बल्कि वर्ल्ड इस्लामिक काउंसिल (ओआईसी) और उनके आका पश्चिमी देशों को भी यह समझना चाहिए कि भारतीय जनभावनाओं की शांति के लिए ऐसा निर्णायक कदम उठाना भारत सरकार के लिए कितना जरूरी था।

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