वेलनेस, केवल शरीर नहीं, मन और आत्मा का भी पोषण : मुख्यमंत्री मोहन यादव

उज्जैन, ऋषिकेश,(ख.स.)। आध्यात्मिक चेतना और वेलनेस क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल के तहत आज उज्जैन में आध्यात्मिक और वेलनेस समिट का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर पूज्य संत, सरकार, उद्योग जगत, आयुष, तकनीकी शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों और निवेशकों ने सहभाग किया।

भारत की सांस्कृतिक राजधानी उज्जैन, जो महाकाल की नगरी और सिंहस्थ जैसी भव्य परंपरा की साक्षी रही है, जहाँ कालचक्र का संचालन करने वाले महाकालेश्वर स्वयं विराजमान हैं। यह नगर सप्तपुरियों में से एक है। आज एक और ऐतिहासिक आयोजन की गवाह बनी। आध्यात्मिक और वेलनेस समिट के माध्यम से न केवल भारत की प्राचीन आध्यात्मिक और चिकित्सा परंपराओं को सम्मानित किया गया, बल्कि उन्हें आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियों और वैश्विक अवसरों से भी जोड़ा गया।

यह समिट मध्यप्रदेश सरकार, पीएस, डीपीआईपी, आनंद विभाग, पर्यटन, आयुष, स्वास्थ्य विभाग और एमपीआईडीसी के सहयोग से आयोजित की गयी। जिसमें नीति-निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, आध्यात्मिक गुरुओं और वेलनेस क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों की सहभागिता रही।

समिट का शुभारंभ पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा मुख्य वक्तव्य के साथ हुआ। उज्जैन के माननीय कलेक्टर ने सिंहस्थ 2028 के परिप्रेक्ष्य में वेलनेस सेक्टर की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। इसके बाद दो सत्रों में प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। 

पैनल चर्चा के दौरान साझेदारी मॉडल पर मंथन हुआ। पहले सत्र में सरकार की नीतियों, वेलनेस पर्यटन ढांचे और क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु भागीदारी मॉडल पर चर्चा हुई। पर्यटन विभाग, उद्योग भागीदारों और विशेषज्ञों ने भारत को ‘वेलनेस हब’ बनाने के विजन को साझा किया।

दूसरे सत्र में वेलनेस और हेल्थकेयर सेक्टर के लिए कौशल विकास, आयुष प्रणाली और स्वास्थ्य संरचना को मजबूत बनाने पर संवाद हुआ। तकनीकी शिक्षा आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रशिक्षण और अवसरों की संभावनाओं पर चिंतन किया। साथ ही वेलनेस इकोसिस्टम पर भी चर्चा हुई।

स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी और सभी विशिष्ट अधिकारियों व पदाधिकारियों ने वेद मंत्र और दीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात एक विशेष ऑडियो-विजुअल के द्वारा उज्जैन, वेलनेस का केंद्र बिंदु के बारे में सभी को जानकारी दी गयी। पर्यटन विभाग द्वारा ‘वेलनेस सेक्टर का रोडमैप’ प्रस्तुत किया गया, जिसमें नीति, संरचना, निवेश और प्रशिक्षण की योजनाएं शामिल थीं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वेलनेस केवल शरीर का स्वास्थ्य नहीं, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धता है। जब हम प्रकृति, योग, ध्यान और सात्विकता से जुड़ते हैं, वही तो वास्तविक वेलनेस है। आज की यह समिट केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि एक चेतना है शुद्ध जीवन, संतुलित जीवन और सम्पूर्ण जीवन की ओर लौटने की यात्रा है। उज्जैन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की प्राचीन परंपराएं और आधुनिक वेलनेस कितना आवश्यक है। उज्जैन से उठी यह वेलनेस की ज्योति अब संपूर्ण भारत और विश्व को आलोकित करेगी।

भारत का आयुर्वेद, योग, प्राणायाम, ध्यान, और सात्विक आहार सदियों से न केवल रोगों से मुक्ति का, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति का आधार रहा है। आज जब आधुनिक जीवन भागदौड़, तनाव, अनियमित खानपान और अत्यधिक मोबाइल उपयोग से प्रभावित है, ऐसे में वेलनेस समिट एक जागरूकता का केंद्र बनकर उभरी है।

इस अवसर पर स्वामी जी ने डिजिटल डिटॉक्स और मोबाइल फास्टिंग की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि आपकी अत्यधिक स्क्रीन टाइम आपके मानसिक और भावनात्मक सेहत के लिए घातक भी हो सकती है।

कार्यक्रम के अंत में माननीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश श्री मोहन यादव जी ने कहा कि उज्जैन, वैश्विक वेलनेस राजधानी के रूप में विकसित हो रही है। यह समिट उज्जैन की प्राचीन आत्मा और भारत की आधुनिक चेतना का संगम है। यह न केवल नीति-निर्माताओं और निवेशकों का मंच है बल्कि स्वास्थ्य, संतुलन और सात्विकता के विकास का दर्शन भी है। उज्जैन केवल तीर्थ नहीं, बल्कि वैश्विक वेलनेस संस्कृति का केन्द्र बनकर उभर रहा है।

उज्जैन सदियों से न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रहा है, बल्कि यहां की शांत व सात्विक ऊर्जा, प्राकृतिक वातावरण और आध्यात्मिक परंपरा इसे वेलनेस पर्यटन के लिए उपयुक्त स्थल बनाती है। 

श्री जे. एन. कंसोटिया  जी,  अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, मध्य प्रदेश शासन ने बताया कि सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए यह समिट इस दिशा में एक रणनीतिक पहल रही, जिसमें वेलनेस इकोसिस्टम को सशक्त बनाने और निवेश को प्रोत्साहन देने की दिशा में सार्थक चर्चा हुई।

समिट में आयोजित पैनल चर्चाओं में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने बताया कि आज के युवा वर्ग को यदि वेलनेस की ओर आकर्षित करना है तो हमें उसे आधुनिक भाषा, सुविधाजनक संरचना और वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत करना होगा। इस कड़ी में आधुनिक हेल्थकेयर और आयुष प्रणाली का समन्वय, वेलनेस सेक्टर में कौशल विकास, और आयुर्वेदिक पर्यटन की असीम संभावनाओं पर चर्चा की गई।

आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी को उपहार स्वरूप भेंट किया और आह्वान किया की अपनी धरती माता को स्वस्थ व समृद्ध रखने के लिये एक पौधे का रोपण अवश्य करे। 

इस अवसर पर उद्योग जगत के श्री मुकुंद प्रसाद, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, लीजर होटल्स, डॉ. मृत्युंजय स्वामी, प्रबंध निदेशक, शतायू आयुर्वेद योग रिट्रीट, श्री रजुल भार्गव, निदेशक, सीएचएल हॉस्पिटल्स और अनेक विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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