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स्वामी जी द्वारा लिखित भारत सनातन का प्रकाश पुंज पुस्तक की प्रथम कृति श्री भूपेन्द्र यादव जी को भेंट

वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भारत सरकार, श्री भूपेंद्र सिंह यादव जी परमार्थ निकेतन में आगमन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज का जन्मदिवस बना पर्यावरण प्रेरणा पर्व भारत सहित विश्व के अनेक देेशों से अनुयायियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के जन्मदिवस पर भेंजे संदेश और पर्यावरण को समर्पित संकल्पपहलगाम हमले के पीड़ितों को समर्पित सादगीपूर्ण जन्मदिवस,आपरेशन सिंदूर की स्मृति में पांच पवित्र स्थानों और पांच प्रदेशों में किया जायेगा आॅपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाओं का निर्माण,वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भारत सरकार, श्री भूपेंद्र सिंह यादव जी को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का प्रथम पौधा भेंट कर आॅपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाओं के निर्माण का किया आह्वान,साध्वी भगवती सरस्वती जी ने बताया पूज्य स्वामी जी का जन्मदिवस पर्यावरण प्रेरणा पर्व, स्वामी जी के अमृतवचनों व उद्बोधनों का अद्भुत संकलन पुस्तक ‘‘भारत सनातन का प्रकाश पुंज’ का विमोचन


ऋषिकेश, (ख.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के जन्मदिवस के अवसर पर भारत सहित विश्व के अनेक देशों से उनके अनुयायियों, संतों, श्रद्धालुओं और पर्यावरण प्रेमियों ने उन्हें शुभकामनाएं एवं श्रद्धा-संदेश प्रेषित किये। 

पूज्य स्वामी जी के आह्वान पर देश-विदेश के अनेकों श्रद्धालुओं ने अपने-अपने स्थानों पर पौधारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त वातावरण, और जैविक खेती जैसे संकल्प लिये। अनेक देशों से डिजिटल माध्यम से शुभकामनाएं प्राप्त हुईं और अनेकों ने स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय गतिविधियों का आयोजन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शहीदों और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अपने जन्मदिवस को अत्यंत सादगी एवं संयम के साथ मनाया।

पूज्य स्वामी जी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की स्मृति में देशभर के पांच पवित्र स्थलों अयोध्या, प्रयागराज, उत्तरकाशी, नीलकंठ, ऋषिकेश, कन्वआश्रम कोटद्वार और यमुना जी के घाट दिल्ली और पांच प्रदेश उत्तराखंड, उत्तरप्रदेेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में ‘ऑपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाएं’ निर्माण करने की घोषणा की, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सशक्त पहल है, साथ ही यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण का भी प्रतीक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि हम सबको मिलकर एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा। आॅपरेशन सिंदूर पंचवटी वाटिकाएं हमारी मातृभूमि और राष्ट्रभक्ति की जीवंत स्मृति होगी।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने पूज्य स्वामी जी के जन्मदिवस को ‘पर्यावरण प्रेरणा पर्व’ के रूप में मनाने का संदेश देते हुयेे कहा, “पूज्य स्वामी जी का जीवन सेवा, समर्पण और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है। वे मानते हैं कि जन्मदिवस केवल उत्सव का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, सेवा और समाजहित के संकल्पों का पर्व होना चाहिए। यह दिन पर्यावरण के प्रति नई चेतना जगाने का पर्व है और उनका जीवन, हर सांस व प्रत्येक क्षण हम सभी के लिये प्रेरणा है।

इस पावन अवसर पर भारत सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह यादव जी का परमार्थ निकेतन आगमन हुआ। उन्होंने पूज्य स्वामी जी महाराज को उनके दिव्य अवतरण दिवस की शुभकामनायें अर्पित करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी प्रतिदिन गंगा आरती में सनातन के बारे में, महाभारत व भारत के बारे में, पर्यावरण के बारे में, युवाओं को दिशा देने के बारे में और श्रीराम जी के बारे में जो अनेकों उद्बोधन दिये वह सनातन के प्रकाश को फैलाने वाले उद्बोधन उनकी उस पुस्तिका में हैं। अभी साध्वी जी ने बताया कि पूज्य स्वामी जी ने तीन बातें उन्हें कहीं - सेवा, हमेशा ईश्वर को अपने पास रखना और खुश रहना। स्वामी जी ने योग का अद्भुत प्रचार व विस्तार किया हैं और योग के जो आठ सोपान है उसका अपने जीवन में सदैव ही अनुपालन किया है और वे हम सब को भी उसके लिये प्रेरित करते हैं।

मेरे पूज्य स्वामी जी से प्रथम परिचय तब हुआ जब उन्होंने हिन्दू धर्म विश्वकोष का एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया जो 11 खंड़ों में बनकर तैयार है और हम सब के लिये उपलब्ध है हम सब उसके लिये स्वामी जी के आभारी हैं और उनका अभिनन्दन करते हैं।

उन्होंने कहा कि यह आसान नहीं होता कि एक स्थान पर लगातार 50 वर्षों तक रूपकर अपनी पूरी निष्ठा के साथ गंगा व पर्यावरण की सेवा करते हुये उस स्थान से अपने तप के साथ योग व पर्यावरण के संदेशों को दूर-दूर तक निरंतरता के साथ फैलाना, यह वही कर सकते हैं जिन्होंने एक योगी के नाते स्वयं जीवन जिया हो। पूज्य स्वामी जी ने अपने जीवन के 73 वर्षों तक हमें यह कर के दिखाया और आगे भी 100 वर्षों तक वे हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे ऐसी प्रार्थना है।

पूज्य स्वामी जी जहां भी जाते हैं सब को एक पौधा अवश्य भेंट करते हैं। विगत वर्ष 5 जून को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हम सभी को एक बड़ा मंत्र दिया, एक कार्यक्रम दिया ‘एक पेड़ माँ के नाम’। इस धरती पर आने पर हमारे उपर दो लोगों का अहसान है एक हमारी मां का और एक धरती माता का। हमारी मां हमें बचपन से लेकर बड़े होते तक जो प्रेम व संरक्षण देती हैं वह और कही नहीं मिल सकता और हम चाहे कितने भी आविष्कार कर ले, चांद पर चले जाये, एआई के माध्यम से सब कुछ बना लें परन्तु गेहु को नहीं बना सकते, हमारे पालन-पोषण के लिये जो अन्न और औषधि चाहिये वह केवल धरती मां ही दे सकती है। हमारा जन्म और हमें सम्भाला हमारी मां ने और हमारा जीवन भर पालन पोषण किया धरती मां ने इनके प्रति कृतज्ञता एक ही रूप में हो सकती है कि अपने जीवन में एक पेड़ मां के नाम जरूर लगाये। यही हमारी मां और धरती मां के प्रति श्रद्धाजंलि होगी। मुझे यह बताते हुये खुशी हो रही है कि पिछले एक वर्ष में एक सौ नौ करोड़ पौधों का रोपण किया गया और एक पेड़़ मां के नाम अभियान को वर्ष 2025 में भी आगे बढ़ाने जा रहे हैं। धरती पर जो तापमान के कारण जलवायु संकट आ रहा है, जो बायो डायवर्सिटी लाॅस हो रहा है, मनुष्य और वन्य जीवों के मध्य जो संघर्ष हो रहा है, उर्वरकों के उपयोग से धरती बंजर हो रही है इसलिये धरती को बचाने का सबसे बड़ा संकल्प और मनुष्य के रूप में हमारा योगदान यही हो सकता है कि हम एक पेड़ मां के नाम अवश्य लगाये।

माननीय मंत्री जी ने इस अवसर पर राजस्थान की अमृता देवी जी का बलिदान व उत्तराखंड के चिपको आन्दोलन को याद करते हुये कहा कि यह केवल आन्दोलन नहीं जागरूकता अभियान था। दुनिया के विशेषज्ञ कहते हैं कि फारेस्ट पीस के लिये होने चाहिये, अगर शान्ति चाहिये तो फारेस्ट होने चाहिये। उन्होंने कहा कि आपके बड़े-बड़े मकान किसी भी पक्षी को एक दाना नहीं खिला सकते परन्तु अगर एक पेड़ लगायेंगे तो अनेकों पक्षी चहचहायेंगे उस के आसपास, पक्षियों की चहचहाना ईश्वर का संगीत है। पूज्य स्वामी जी के अवतरण दिवस पर हम सभी को एक पेड़ मां के नाम लगाने का संकल्प लेना होगा, क्योंकि इससे अच्छा सुयोग दूसरा नहीं है। 

मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी एक युगद्रष्टा, पर्यावरण संत और मानवता के मार्गदर्शक हैं। स्वामी जी का जीवन एक जीवंत संदेश है कि सेवा, समर्पण और संकल्प से कैसे पृथ्वी को बचाया जा सकता है। उनका हर कार्य समाज को जोड़ने, जागरूक करने और जीवन मूल्यों को पुनस्र्थापित करने हेतु समर्पित है। 

पूज्य स्वामी जी का जीवन एक यज्ञ है, संस्कारों का, सेवा का, स्वच्छता का और संकल्पों का। वे एक पर्यावरण संत हैं, युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, समाज के लिए दिशा और विश्व के लिए एक समाधान हैं।

इस अवसर पर दिल्ली से आये प्रोफेसर श्री वेदप्रकाश गुप्ता जी, प्रोफेसर रचना विमल जी, श्री अरूण सारस्वत जी, गंगा नन्दिनी जी, आचार्य दीपक शर्मा जी, आचार्य संदीप जी, भारती टीएन, नीरज जी, स्वामी सेवानन्द जी, माता मीना जी और देशविदेश से आये सभी श्रद्धालुओं व अनुयायियों ने इस दिव्य अवसर पर सहभाग किया।

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