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पूर्णानंद घाट में महिलाओं ने पारंपरिक श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया हरेला पर्व

 ऋषिकेश (ख.स.)। ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट, पूर्णानंद घाट में महिलाओं द्वारा की जा रही विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में महिलाओं द्वारा गंगा मां का पूजन कर अग्नि देव, वायु देव, वरुण देव, सूर्य देव तथा इंद्र देव की उपासना कर मनाया गया हरेला पर्व। हरेला पर्व पर गंगा के पावन तट पूर्णानंद घाट पर महिलाओं ने सभी जीवों की रक्षा, धरती माता को बचाने, व सभी प्राणियों के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की गई।

पूर्णानंद घाट गंगा तट पर रुद्राक्ष, सहजन, अमलतास, नीम और पीपल का पौधारोपण कर हरेला पर्व मनाया गया। ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट ने पूर्णानंद घाट में महिलाओं ने किया हवन पूजन साथ ही हरेला पर्व के अवसर पर सभी ने एक स्वर से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लिया।

ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी ने कहा ने कहा कि प्रकृति और मनुष्य को जोड़ने वाला लोकपर्व है हरेला पर्व। ये पर्व प्रकृति और मनुष्य के तादात्म्य का उत्सव है और इस दौरान हम लोग प्रकृति और ईश्वर के प्रति आभार जताते हैं। सावन मास के हरेला पर्व का विशेष महत्व है सावन भगवान शिव का प्रिय मास है और उत्तराखंड को शिव भूमि भी कहा जाता है। हरेला पर्व के समय शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है और इस पर्व को शिव पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है।

डॉ. ज्योति शर्मा ने कहा कि कहा हरेला पर्व हमारे लिए केवल एक रस्म-भर नहीं है, बल्कि यह खास दिन हरेला पर्व के महत्व को उजागर करने और लोगों को यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है की प्रकृति को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे लगाने, पेड़ों को संरक्षित करने, हरे पेड़ न काटने, नदियों को साफ रखने, जल का संरक्षण और प्रकृति से खिलवाड़ न करने जैसी चीजों के लिए हमें जागरूक होना चाहिए। हमें हर दिन को हरेला पर्व मानकर प्रकृति बचाव के लिए कुछ उपाय करते रहना चाहिए।  

शील गुप्ता ने कहा उत्तराखंड प्रकृति के तोहफों से संपन्न राज्य है। यहां की खूबसूरती ही उन्हीं बल्कि देवी देवता दुनियाभर में जाने जाते हैं। यही कारण है कि, उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।

महिला गंगा आरती में मुख्य रूप से इस मौके पर ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी जी , डॉ. ज्योति शर्मा, एस्ट्रो वर्ल्ड संस्थापक ज्योतिषाचार्य आचार्य सोनिया राज, मनीष अग्रवाल, मान्य अग्रवाल, आशा डंग, पूनम रावत, अंजना उनियाल, बंदना नेगी, गायत्री देवी, प्रमिला, आदि महिलाओं ने पर्यावरण बचाने में मदद की अपील की।

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