ऋषिकेश, (ख.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती जी ने आज माँ ताप्ती जी के अवतरण दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि माँ ताप्ती, एक दिव्य धारा है। वह केवल एक नदी नहीं, अपितु भारत की सांस्कृतिक चेतना, जीवनधारा और पर्यावरणीय संतुलन की संवाहिका है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माँ ताप्ती जन्मोत्सव हमें नदियों की महत्ता का स्मरण कराता है, साथ ही उनके संरक्षण की आवश्यकता का संकल्प भी देता है। वर्तमान समय में प्रदूषण, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन के कारण नदियाँ संकट में हैं। यदि हमें भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देना है, तो नदियों की अविरलता, निर्मलता और पवित्रता को बनाए रखना अनिवार्य है।
माँ ताप्ती भारतीय संस्कृति में सूर्य पुत्री के रूप में प्रतिष्ठित हैं। स्कंद पुराण एवं अन्य ग्रंथों के अनुसार माँ ताप्ती जीवनदायिनी और पापहारिणी है। वे न केवल एक प्राकृतिक जलस्रोत हैं, बल्कि श्रद्धा, शक्ति और सद्भाव का प्रतीक भी हैं। भारतवर्ष में नदियाँ सदैव से पूजा एवं परंपराओं का केंद्र रही हैं।
माँ ताप्ती जन्मोत्सव केवल एक पर्व नहीं है, जल, जीवन और संस्कृति के संरक्षण की एक चेतना है, एक आह्वान है । यह दिन हमें हमारी सनातन परंपराओं का स्मरण कराता है जहाँ प्रकृति और नदियों को देवता का स्थान प्राप्त है।
नदियाँ केवल जल की धाराएँ नहीं हैं, वे हमारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भौतिक जीवन की आधारशिला हैं। यदि नदियाँ सूख जाएँगी या प्रदूषित होंगी, तो जीवन का संतुलन बिगड़ जाएगा। अतः ताप्ती सहित सभी नदियों की शुद्धता, स्वच्छता और अविरलता को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
मध्यप्रदेश की भूमि को यह गौरव प्राप्त है कि वह भारत की तीन प्रमुख नदियों, नर्मदा, ताप्ती और चंबल की जननी है। ताप्ती, मध्यप्रदेश से निकलकर महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए अरब सागर में मिलती है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के आर्थिक-सामाजिक तानेबाने में ताप्ती का योगदान अमूल्य है। ताप्ती जी की विशेषता है कि वह नर्मदा जी के समान पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है, जो भारत में दुर्लभ भूगोलिक घटनाओं में से एक है। यह विशेषता न केवल भौगोलिक दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि भारत की नदी प्रणालियों के विविध स्वरूप को भी दर्शाती है। ताप्ती का बहाव क्षेत्र जैव विविधता, कृषि उत्पादकता और जलवायु संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
माँ ताप्ती केवल एक नदी नहीं, अपितु भारत की सांस्कृतिक चेतना, जीवनधारा और पर्यावरणीय संतुलन की संवाहिका हैं। उनका जन्मोत्सव एक धार्मिक पर्व भर नहीं, बल्कि यह प्रकृति के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता और संरक्षण के संकल्प का प्रतीक है।
माँ ताप्ती का जन्मोत्सव हमें यह याद दिलाता है कि नदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि संस्कृति की संवाहक, अर्थव्यवस्था की धुरी और पर्यावरण की रक्षा की आधारशिला हैं। आज जब नदियाँ प्रदूषण, अवैध खनन, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन के संकटों से जूझ रही हैं, तब यह पर्व हमें उनके संरक्षण की प्रेरणा देते है। माँ ताप्ती का जन्मोत्सव एक चेतना है, यह हमें जल, जीवन, संस्कृति और प्रकृति के साथ संतुलन की शिक्षा देता है।

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