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दलाई लामा जी का जीवन सभी के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत :स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, (ख.स.)। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आज सायं गंगा तट पर आयोजित हुई पावन गंगा आरती परम पूज्य दलाई लामा जी के 90वें जन्मदिवस के अवसर पर उनके दीर्घायु व दिव्यायु की प्रार्थना के साथ समर्पित की। इस अवसर पर परमार्थ परिवार सहित उपस्थित श्रद्धालुओं एवं साधकों ने प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता भाव से परम पूज्य दलाई लामा जी के दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य हेतु प्रार्थना की।

गंगा तट पर दीपों की छटा, मंत्रों की गूंज और श्रद्धा के स्पंदनों के बीच समर्पित हुई यह आरती करुणा, अहिंसा और शांति का संदेश के साथ समर्पित की। यह आयोजन दलाई लामा जी की अनमोल शिक्षाओं और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन में एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों साधु-संतों, ऋषिकुमारों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्रेमपूर्वक प्रसाद स्वरूप भोजन कराया। भंडारे का उद्देश्य था दलाई लामा जी के जीवन से प्रेरणा लेकर सेवा, परोपकार और करुणा के मूल्यों को समाज में आगे बढ़ाना है।

परम पूज्य दलाई लामा जी तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु जो आज पूरे विश्व में करुणा, प्रेम और शांति के प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने पूरी मानवता को यह शिक्षा दी कि संघर्ष और क्लेश के बीच भी अहिंसा और सह-अस्तित्व का मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है।

पूज्य दलाई लामा जी का जीवन स्वयं में एक तपस्या है, धैर्य, सहनशीलता, शान्ति, क्षमा और करुणा की साधना है। वे जिस सहजता से गहन विषयों को सरल भाषा में समझाते हैं, वह सभी के हृदय को छू जाती है।

परमार्थ निकेतन और परम पूज्य दलाई लामा जी के बीच वर्षों से गहन आध्यात्मिक संबंध रहे हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी ने समय-समय पर परम पूज्य दलाई लामा जी के सान्निध्य में विश्व शांति, अंतरधार्मिक समरसता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर संयुक्त रूप से कार्य किया है। स्वामी जी ने कहा कि कई वर्षों से विश्व के मंचों पर उनके साथ होना, उनके करूणामय संदेशों का प्रसारित होना और आज भी 90 वर्ष की अवस्था में इतना सक्रिय रहना सम्पूर्ण समाज के लिये किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। पूज्य दलाई लामा जी की संवेदनशीलता, सकारात्मकता, सरलता, सादगी, सजगता व समाज के साथ स्नेहमयी सक्रियता और सभी का सम्मान करना ये उनके चरित्र की अद्भुत गुण है। ये बौद्ध समाज के लिये ही नहीं सम्पूर्ण समाज व मानवता के लिये एक वरदान है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परम पूज्य दलाई लामा जी प्रेम, शांति और करुणा की जीवंत मूर्ति हैं। उनका जीवन और उनका संदेश संपूर्ण मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है। गंगा तट से हम सभी उनके लिए दीर्घायु, निरोगता और अखंड प्रेरणा की कामना करते हैं।

साध्वी भगवती जी ने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य का क्षण था जब हम दलाई लामा जी के 90वें जन्मोत्सव पर उनके साथ थे। उनके सान्निध्य में बिताए क्षण चिरस्मरणीय हैं। उनका जीवन विनम्रता, प्रेम और निःस्वार्थ सेवा से ही संसार को सच्ची शांति मिल सकती है।

दलाई लामा जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत है। उनके 90वें जन्मदिवस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन से दिव्य गंगा आरती समर्पित की।

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