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गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वाँ शहीदी दिवस मनाने के लिए शिरोमणि कमेटी बड़े भाई की भूमिका निभाए: हरमीत सिंह कालका, जगदीप सिंह काहलों

 


हरजिंदर सिंह धामी को पत्र लिखकर दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने की अपील

गुरु साहिब की शहादत और अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ, इसलिए कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी की बनती है


नई दिल्ली (ख.स.)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अपील की है कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को मनाने के लिए वह बड़े भाई की भूमिका निभाए और गुरु साहिब तथा उनके साथ शहीद हुए तीन सिखों – भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दियाला जी – के शहीदी दिवस को दिल्ली में मनाने के लिए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी को भरपूर सहयोग दे।

यह बात दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कही। एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को लिखे पत्र में सरदार कालका और काहलों ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी और तीनों शहीदों की शहादत दिल्ली में हुई और उनका अंतिम संस्कार भी दिल्ली में ही हुआ, इसलिए इन कार्यक्रमों की ज़िम्मेदारी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बनती है।उन्होंने अध्यक्ष धामी को यह भी याद दिलाया कि 1999 में खालसा पंथ की 300वीं स्थापना वर्षगांठ श्री केसगढ़ साहिब, गुरु अंगद देव जी का 400वां प्रकाश पर्व खडूर साहिब, गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व सुलतानपुर लोधी, गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व पटना साहिब और 2008 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरतागद्दी की 300वीं वर्षगांठ तख्त श्री हजूर साहिब में मनाई गई। इन सभी आयोजनों में पंथ की सभी जत्थेबंदियों ने मिलकर सहयोग दिया।

उन्होंने कहा कि यह परंपरा पहले से चलती आ रही है कि शताब्दी या अर्धशताब्दी समागमों को पूरी कौम और पंथक जत्थेबंदियाँ संबंधित स्थान पर मिलकर मनाती हैं। इस बार किसी नए ढांचे या स्वरूप में कार्यक्रम करने की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने यह भी स्मरण करवाया कि 2 अप्रैल को गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें शिरोमणि कमेटी से भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल, हरियाणा कमेटी से सरदार भूपिंदर सिंह असंध, तख्त श्री हजूर साहिब से भाई सरबजीत सिंह तथा भारत की प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि दिल्ली में मिलजुलकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।

अंत में, उन्होंने एडवोकेट धामी से अपील की कि शिरोमणि कमेटी बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए इस कार्यक्रम को दिल्ली में आयोजित करवाने की पहल करे और दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी छोटे भाई की भूमिका निभाते हुए इन कार्यक्रमों के लिए पूरा सहयोग देगी।

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