नई दिल्ली (ख.स.)। सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भोपाल, मध्य प्रदेश की शोधार्थी वंदिता ने अपने शोध कार्य हठयोग ग्रंथो में योगागों का समन्वयात्मक अध्ययन के लिए पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार यह शोध योग और आध्यात्म के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है जो राष्ट्र और समाज के लिए व्यापक योगदान देता है।
वंदिता के इस शोध का मार्गदर्शन प्रोफेसर डॉक्टर शशिकांत मणि त्रिपाठी जी ने किया उनके निर्देशन में वंदिता ने पतंजलि योगसूत्र, हठप्रदीपिका, हठरत्नावली, गोरक्ष शतक, शिव संहिता, योगवशिष्ठ, वशिष्ठ संहिता तथा अन्य हठयोग ग्रंथों के विश्लेषण और गहन अध्ययन से साधकों को योग को अपने आधुनिक जीवन शैली में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है व आत्मा सुधार और आध्यात्मिक विकास के लिए एक समग्र प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करती है।
इसके अलावा यह शोध भारत की प्राचीन कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के महत्व को रेखांकित करता है। यह अतीत और वर्तमान दुनिया के बीच प्राचीन हठ यौगिक ग्रंथों के ज्ञान के एक पुल के रूप में कार्य करता है।
यह अध्ययन इस यात्रा के अंत में यही बताता है की यात्रा यहीं समाप्त नहीं हुई है बल्कि यह भविष्य के अनुसंधान के लिए एक द्वारा को खोलना है। यह शोध अनुसंधान आंतरिक संतुष्टि, शारीरिक व मानसिक परिवर्तनकारी मार्ग के रूप में योग के स्थाई महत्व को सुदृढ़ करता है।
इस अध्ययन का समग्र निष्कर्ष भारत के हठ यौगिक ग्रंथों में निहित स्थाई ज्ञान का एक प्रमाण है। यह पुष्टि करता है कि योग केवल एक शारीरिक अभ्यास ही नहीं बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और एक गहन परिवर्तनकारी यात्रा है। इसे अपनाने वाले सभी साधकों को मार्गदर्शन और एक नई चेतना प्रदान करता है। यह शोध प्राचीन ग्रंथो के विशिष्ट पहलुओं में गहराई से उतरने या आधुनिक संदर्भ में इसके अनुप्रयोगों की खोज करने के लिए आमंत्रित करता है।

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