सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

उम्मीदों के मलबे में राहत की किरण बने हुए सेना के जवान

उत्तराखंड के धराली गांव में बादल फटने से हुई तबाही के बाद भारतीय सेना राहत और बचाव कार्य में जुटी है। कर्नल हर्षवर्धन 150 जवानों के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं और प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं। सेना ड्रोन ट्रैकर डॉग्स और मशीनों का इस्तेमाल कर रही है। वायुसेना हेलीकॉप्टर से दवाएं और राशन पहुंचा रही है, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

 

उत्तरकाशी (ख.स.)। उत्तराखंड ज़िले में हाल ही में हुई भीषण बादल फटने की घटना ने एक बार फिर प्रकृति की क्रूरता और हमारी तैयारी की सीमाओं को उजागर कर दिया है। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन, बाढ़ और तबाही ने न केवल कई ज़िंदगियों को निगल लिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में भय, आशंका और अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है।इन हालातों में सेना की तैनाती और बचाव कार्यों में उसकी सक्रिय भागीदारी एक बड़ी राहत के रूप में सामने आई है। करीब 150 जवानों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी, स्निफर डॉग्स और भारी मशीनों की मदद से राहत एवं बचाव कार्य तेज़ी से जारी हैं। यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि उम्मीद की वापसी है। उन लोगों के लिए जो मलबे के नीचे अपनों की आहट सुनने की आस में हैं।

इस त्रासदी ने यह भी साबित किया है कि कठिन समय में हमारी सेनाएं न केवल सीमाओं की रक्षा करती हैं, बल्कि मानवता की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर तत्पर रहती हैं। गांव-गांव में फंसे लोगों को निकालना, घायल व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाना, और लगातार बिगड़ते मौसम में भी जोखिम उठाकर काम करना, यह सब हमारे सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और समर्पण को दर्शाता है।लेकिन यह सवाल भी उठता है  क्या हम इस तरह की आपदाओं के लिए पहले से तैयार हैं? क्या हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र पर्याप्त मज़बूत है? क्या स्थानीय प्रशासन, मौसम विभाग और राहत एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हो सकता था?यह समय केवल राहत और बचाव कार्यों को सराहने का नहीं, बल्कि नियोजन और पुनर्विचार का भी है। हमें आने वाले भविष्य की आपदाओं के लिए न केवल बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाना होगा, बल्कि स्थानीय चेतावनी प्रणाली, आपदा शिक्षा, और पर्यावरण-संवेदनशील विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।उत्तरकाशी की इस त्रासदी ने हमें यह भी सिखाया है कि पहाड़ों की सुंदरता जितनी आकर्षक है, उसकी प्रकृति उतनी ही संवेदनशील भी। अतः विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना अब केवल विकल्प नहीं, अनिवार्यता है। अंततः, जब हर तरफ टूटती उम्मीदों का माहौल हो, तब सेना की दस्तक, मशीनों की आवाज़ और डॉग स्क्वॉड की खोज ये सभी मिलकर इंसानियत की सबसे बड़ी पहचान बन जाते हैं। हमारी प्रार्थनाएँ पीड़ितों के साथ हैं, और उम्मीद है कि राहत कार्य जल्द सफल हो।होम

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बारिश भी नहीं रोक पाई आस्था का सैलाब, हज़ारों भक्त, कनक दंडवत, डिग्गी कल्याण पद यात्रा : विजय शंकर पाण्डेय

  बारिश भी नहीं रोक पाई आस्था का सैलाब, हज़ारों भक्त, कनक दंडवत, डिग्गी कल्याण पद यात्रा : विजय शंकर  पाण्डेय   जयपुर (ख.सं.)।  जयपुर डिग्गी कल्याण जी पदयात्रा रवाना आज जयपुर ताडकेश्वर मन्दिर चौडा रास्ता से हर वर्ष की तरह डिग्गी कल्याण जी लखी पदयात्रा रवाना हुई जिसका रास्ते में भक्तो द्वारा जगह जगह स्वागत नाश्ता, भोजन व्यवस्था रहेगी। आज ताडकेश्वर मन्दिर से आयोजक श्री जी लोहिया द्वारा उप मुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी जी, एम एल ए गोपाल शर्मा, त्रिवेणी धाम खोजी जी द्वाराचार्य श्री राम रिछपाल दास जी, अवधेशाचार्य जी, धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय ने ध्वज पूजन कर रवाना किया इस अवसर पर श्री जी लोहिया ने सभी को माला दुप्पटा ओढा कर सम्मान किया इस अवसर पर धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय बताया कि डिग्गी कल्याण जी की 60वीं लक्खी पदयात्रा 31 जुलाई को जयपुर के ताड़केश्वर महादेव मंदिर से शुरू हुई थी। यह यात्रा लगभग 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और 4 अगस्त को डिग्गीपुरी कल्याण जी मंदिर पहुंचेगी।  हमारे खबर संग्रह संवाददाता को यात्रा के मुख्य बिंदु चर्चा में बताया कि यात्र...

जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन:मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

नई दिल्ली (ख.स.)। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने जो कहा उसकी अपेक्षा एक मुख्यमंत्री से की जाती है, ये बात सही है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है जिसमें मुख्यमंत्री के हाथ में सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन फिर भी उमर अब्दुल्ला ने जो चिंता पहलगाम हमले के बाद विधानसभा के विशेष सत्र में ज़ाहिर की, उसने राष्ट्र के मसले पर भारत की मजबूत एकता का ही एक प्रमाण दिया है। जो एक बड़ी बात है जो उमर अब्दुल्ला ने कही कि बेशक उनके हाथ में कुछ नहीं है लेकिन मेज़बान होने के नाते उनकी ज़िम्मेदारी थी कि जो लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से कश्मीर आए उन्हें सकुशल वापस भेजा जाए जो नहीं हुआ।  मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला विधानसभा में भावुक होकर बोले कि इस हमले ने हमें अंदर से खोखला किया है, क्या जवाब दूं मैं उस नेवी अफसर की विधवा को, उस छोटे बच्चे को जिसने अपने पिता को खून में लथपथ देखा है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अतीत में हमने कश्मीरी पंडितों और सिख समुदायों पर आतंकी हमले होते देखे हैं, लंबे वक्त के बाद ऐसा हमला हुआ है. मेरे पास पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मा...

उत्तर रेलवे ने सिगनल प्रणाली को आधुनिक

उत्तर रेलवे ने सिगनल प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए रेलटेल एंटरप्राइजिज के साथ समझौता:टी.पी. सिंह   नई दिल्ली (ख स.) रेलटेल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी रेलटेल एंटरप्राइजिज लिमिटेड(आर.ई.एल.) को उत्तर रेलवे के 13 रेलवे स्टेशनों पर  पुराने मैकेनिकल सिगनलिंग उपकरणों को बदलने और उनके स्थान पर अत्याधुनिक इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली लगाने का कार्य सौंपा गया है । मौजूदा मैकेनिकल सिगनलिंग प्रणाली में सिगनलडाउन  करने और पटरियों को बदलने के लिए लीवर फ्रेमों का इस्तेमाल होता है । नई इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिगनलिंग प्रणाली माऊस के एक क्लिक से ही सिगनल डाउन  करने और पटरियों को बदलने में सक्षम होगी ।  आर.ई.एल. को जिन 13 रेलवे स्टेशनों का कार्य सौंपा गया है उनमें से 3 दिल्ली मंडल और 10 अम्बाला मंडल के हैं । दिल्ली मंडल के 3 स्टेशनों में कलायत, कैथल और पेहोवा रोड और अम्बाला मंडल के 10 रेलवे स्टेशनों में आनन्‍दपुर साहिब, नंगलडैम, रोपड़ थर्मल प्लांट, बलुआना, गिद्दडबाहा, मलौट, पक्की, पंजकोसी, हिंदूमलकोट और फ...